चाय, सिगरेट और बारिश,
ये तो कोई बात न हुई।
तन्हाई भरी रात और तुम्हारी याद,
ये तो कोई मुलाकात न हुई।
वही गली, शहर, और घर की खिड़की,
वही पनवाड़ी, वही सिगरेट और इंतज़ार,
ये सब ठीक तो नहीं,
ये भी कोई बात हुई,
आए नहीं तुम बारिश को झाँकने खिड़की से,
मिली नहीं तुमसे फ़िर मेरी नज़रे,
ऐसे ही वापस लौट जाना होगा अपने शहर,
ये भी कोई मुलाकात हुई।
चाय, सिगरेट और बारिश,
ये तो कोई बात न हुई।
वही गली, शहर, और घर की खिड़की,
वही पनवाड़ी, वही सिगरेट और इंतज़ार
कई लोग relate karenge iss baat se
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मैंने तो बस वही लिखा, जो दिखा| शुक्रिया !!!
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बहुत खूब !!
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शुक्रिया !!!
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बहुत खूब लिखा है आपने।
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शुक्रिया !!!
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