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कमरा

खिड़की पहले भी खोलता था,
अब रोशनी छन कर नहीं आती।

कभी तन्हा सा ठंडा नहीं था,
बेचैन हो गया हैं कमरा ये।

पता नहीं कहाँ चली गई
गंद तो तुम्हारी छोड़ जाती।

पता नहीं था बिस्तर की
दो साइड होती हैं,
जाने के बाद मैं
तुम्हारी साइड पर सोता हूँ।

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जनता

शोर ना करो,
अरे कोई चिल्लाओ नहीं,
शांत हो जाइए,

वो अभी सो रहे हैं,
आंखें मूंदे सपनों में,
वादों में मेरे।

एक पुल ही तो गिरा हैं,
कोई आफत नहीं आयी,
कुछ घायल,
एक–आद ही तो मरा हैं।

तस्वीरों पर ध्यान ना दो,
लिए माइक हाथ में,
सवाल पूछ लेने दो,
पर मैं जांच बिठा दूंगा।

अब तक नहीं पता चला,
कल भी नहीं पता चलेगा,
हम दो और वादे करेंगे,
वो फिर सो जाएंगे।

श्ह, चुप हो जाओ सब,
कोई शोर ना करे,
वो सब सो रहे हैं।

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गुज़ारा

कैसे होता हैं गुज़ारा मेरे बगैर,
चाय के पहले प्याले में मिलते हैं,
ताई की एक नॉट से लिपटते हैं,
दफ़्तर की फाइलों से हट कर
डब्बे की ख़ुश्बू में महकते हैं,
शाम देर होती हैं तो,
ये नाक पर गुस्से को चूमते हैं,
किचन में सब्जियों से कटे कटे हैं,
बिस्तर की सिलवटों में जागते हैं,
पर, तुम बताओ तो,
तुम्हारा मेरे बग़ैर गुज़ारा होता कैसे हैं?

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सुनने वाला कौन हैं यहाँ

कभी लगता हैं
तुम्हें अभी बहुत कुछ कहना हैं,
लेकिन वो सुनने वाला अब यहाँ हैं नहीं।

और अजीब हैं ये,
बातें भी उसके इर्द-गिर्द की हैं,पर
वो सुनने वाला अब यहाँ हैं नहीं।

हाँ, मैं तुम्हारे जाने के बाद,
हर्फ़-दर-हर्फ़ जज़्बात का मोहताज़ हो गया हूँ,
लेकिन तुम सुनने वाली यहाँ हो नहीं।

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बिग बैंग

कभी यूँ हुआ हो,
कागज़ों पर छाप देते देते
तुम्हें ख़्याल आये
ये सब मिट जाएगा।

सहर होते ही
ये अँधेरा बिखर जाएगा,
और दूर तारों से
एक बिंदु में सब मिल जाएगा।

वहाँ एक नया दौर हैं,
ज़िन्दगी अलग हैं
ख़्वाब अलग हैं,
इस जहां से अलग जहां और भी हैं।

ख़्याल से लड़ते लड़ते,
ये ज़िन्दगी भी ख़त्म होगी,
लेकिन तुम ये नहीं सोचोंगे,
क्योंकि देखा नहीं ये “बिग बैंग”।

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जब तेरी मेरी उम्र हो जाएगी|

जब तेरी मेरी उम्र हो जाएगी,
मेरी आँखों पर एक मोटा चश्मा होगा,
चलने को किसी का सहारा लेना होगा,
तू वहीँ कहीं मुस्कुरा रही होगी,
तब तेरी हँसी के सहारे सवेरा जागेगा,
शाम की पलके निचे तुझसे होंगी|

जब तेरी मेरी उम्र हो जाएगी,
मैं झुर्रिओं में ज़िन्दगी को याद करूँगा,
गले को गर्म रखने की दावा लूँगा,
पर तू वहीँ कहीं बैठी होगी,
यादों को खुबसूरत तूने जो बनाया होगा,
तुझे उसका धन्यवाद भी तो करना होगा|

जब तेरी मेरी उम्र हो जाएगी,
मैं तुझे खुद में जिंदा रखूँगा,
मैं तेरे सहारे उम्र सारी काट लूँगा,
पर तू कहीं खुदा के पास होगी,
तेरा मुझे वहीँ से डांटना होगा,
पर मैं खुदा से तेरी खातिर नाराज़ रहूँगा|

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