एक बात तो बताना भूल गया शायद,
अभी वक़्त नहीं हुआ तुम्हारे जाने का।
अरे, तुमने तो सामान भी बाँध लिया,
उस शाम हमने बात ख़त्म तो नहीं की थी।
वादा याद हैं ना तुम्हें या फिर दोहराऊं,
एक तस्वीर साथ की,
एक तोहफ़ा 5 जनवरी का,
एक डायरी मेरे तुम्हारें ज़िक्र मुलाकात की।
हाँ, तुम्हें तो याद ही नहीं होगा कुछ,
आए बड़े, सब याद रखने वाले।
तुम तो कहती थी तुम न जाओगे ऐसे,
उस रात फिर क्या हुआ?
जाओ मैं नहीं करता बात अब तुमसे।
अब जाओ भी, और सुनों
ये यादें तो ले जाओ अपने साथ।
बात तो बताना भूल गया, शीतल,
आदतें नहीं भूल सकता तुम्हारे जाने के बाद।