Fictions

किताब और ऐनक

 

 

कभी दादी नानी से कोई कहानी नहीं सुनी थी रचित ने। उसे नहीं पता था रात कैसे गुजर जाती हैं उनकी गोद मे सर रखते ही।

एक रात काम से लौटते हुए गुप्ता जी एक नई गुलज़ार की किताब लेके आए। मेज पर रखी किताब और ऐनक को रचित कोने से घूरता रहा।

उस रात ना वो ऐनक आँखों से उतरी, ना वो पिता के गोद मे सोया रचित।

Standard

6 thoughts on “किताब और ऐनक

Leave a comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.